गुरुवार, 27 जुलाई 2023

आशा अमरधन स्वरचित कविता - डॉ चंद्रकांत तिवारी

आशा अमरधन

स्वरचित कविता - डॉ चंद्रकांत तिवारी 


"वह फूल ही क्या 

जिसमें मिट्टी के कण न हों 

वह जीवन ही क्या 

जिसमें दुख के क्षण न हों ।


मुश्किलें तो हर पल 

नए रास्ते दिखलाती हैं 

रास्तों पर दृढ़ होकर 

चलना ही जीवन है।"

©चंद्रकांत तिवारी 

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