गुरुवार, 27 जुलाई 2023

शहीद स्मृति - डॉ चंद्रकांत तिवारी - उत्तराखंड प्रांत

शहीद स्मृति     

©डॉ. चंद्रकांत तिवारी - उत्तराखंड प्रांत 

 प्यारे नेता चले गए संस्कार अभी तक बांँकी है

हिंद देश के वासी हैं आजाद हिंद की खाकी है

सुनों युवा भारत के वासी नाम सुभाष का काफी है

शहीद हुए वह देश के खातिर जीवन उनका सन्यासी है

जो न लड़ सका देश के खातिर चेहरा उसका आभासी है

फिरंगी कूच कर गए वतन से स्वराज्य अपना अभिलाषी है

आजादी के अमर सेनानी यह विरासत अमृतवाणी है 

बंद तलवार रह गई म्यानों में सूर्योदय कहांँ कल्याणी है

जो रूधिर वसन में लिपट न पाया वह रूधिर नहीं वह पानी है

जो अपने वंश को बचा ना पाया

वह धर्म-चरित्र अज्ञानी है ।


उठ न सका अपने पैरों पर राष्ट्र भला बच पाएगा

किस घर जाकर ढूंँढ रहें हम

सुभाष क्या वापस आएगा

स्वराज्य हमारा - राज्य हमारा

हिंद-विरासत पूरी छोड़ गया

फौलाद इरादों का युग-बालक 

विरासत-उपवन छोड़ गया

भारतमाता-अमरकोश मिट्टी से रिश्ता जोड़ गया ।


ऊंँचे हों आदर्श युवा के पदचिन्ह सुभाष के बांँकी हैं 

हम कथनी-करनी का अंतर भूल गए

फिर किस बात की हमको मांँफी है 

जो नहीं कर सके रण-अभिषेक

भला युद्ध कहांँ वह जीतें हैं

न तिलक शहीदों की मिट्टी का

कब गंगाजल भर पीते हैं ।


जो अपने ही आंँसू को सैलाब बनाकर पीते हैं

निज रुधिर-रक्त की धारों में स्वाभिमान बनाकर जीते हैं

है राष्ट्र-वसन जिनका यश-वैभव कफन तिरंगा ओढ़ा है

ऐसे ही जांँबाज़ युवा ने फिरंगी का मस्तक तोड़ा है 

कण-कण खून बहाया अपना आजादी का बिगुल बजाया था

प्यारे सुभाष ने अपने रक्त से आजादी का स्वप्न सजाया था।


स्वरचित -

©चंद्रकांत तिवारी

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