भौतिक जगत के क्रियाकलापों से व्यक्ति सभ्य होता है परंतु आत्मबल हृदय को संस्कारित करने से ही प्राप्त होता है। आत्मिक मूल्य व्यक्ति के जीवन मूल्य को मूल्यवान बनाते हैं। भौतिक संसार में सभ्यता व्यक्ति को जीवन जीना सिखाती है परंतु संस्कारवान नहीं बनाती।
संस्कार संस्कृति का विषय है, सभ्यता शब्द होने का भाव मात्र।
© चंद्रकांत
Fb-Chandra Tewari
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