सोमवार, 7 अगस्त 2023

सागर किनारे - डॉ चंद्रकांत तिवारी - उत्तराखंड प्रांत

 


सागर किनारे सूरज पुकारे 

रेतों के महलों पर 

लहरों के साये

चंचल रश्मियांँ - बेसुध उर्मियांँ

यौवन युगल पर

स्मृति सजाये 

वैभव का सागर

निज भावों की गागर

लहरों की गुंजन मृदंग बजाये

लौटी तटों पर कोमल करों पर

सहज सरलता कोमल तरलता

मातृत्व स्पर्श-सा स्नेह-प्यारा

कोमल हृदय से करती दुलारा

छूकर चरण तल देती सहारा

वैभव की जननी मिलती दोबारा ।


लहरों की धारा

डूबा क्षितिज पर

ओझल किनारा

लोहित गगन पर

रोहित किनारा

मैं निज खड़ा हूंँ

सम्मुख तुम्हारे 

भूतल किनारे

तटबंध सारे

लहरें पुकारे

हम-तुम सहारे

सागर पुकारे

क्षितिज धरा पर

सारस्वत किनारे

मिलते रहेंगे 

हम-तुम किनारे।


स्वरचित कविता -

© चंद्रकांत तिवारी 

fb-Chandra Tewari 


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