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पुण्य सलिला मोक्षदायिनी ..
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सब कहते हैं मैं भी कहता हूंँ
सब रहते हैं मैं भी रहता हूंँ
सब सहते हैं मैं भी सहता हूंँ
अंतहीन अंतर्मन अनंत प्रवाह बहता नीर निरंतर
एकांत समर निज छिपा कहांँ स्वरूप भयंकर।
नित-नित निरंतर निर्भय अंतर
अंतस अंतहीन जलधार
बहता शैलखंड शीर्ष शिखर
शिव जटाशंकर बहती लघुधार
चूर-चूर चूर्ण चरण बहती चर्म पग धरा पर सत्कार
शीतल पेय सरस पुण्य सलिला मोक्षदायिनी उद्धार
शीतला जल शीतलता-सी साकार ।
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