सोमवार, 12 अगस्त 2019

POETRY written by Dr CHANDRA KANT TEWARI/ DELHI

POETRY written by 
                 Dr CHANDRA KANT TEWARI/ DELHI

 हर बार एक, 

हर बार नया,

जाने मैं कितनी दूर तक गया. !

भविष्य काे देखा, 

भूत काे खाेया,

वतॆमान में ना जाने, 

क्या ले कर बाेया !

छाेटा सा सपना आँखाें में संजाेया,

यह ले कर मैं सारी रात ना साेया !

फिर एक दिन नसीब ने कहा,

तू किस्मत से आगे चल ।

भूल जा तू अपने बीते हुए पल,

नसीब काे भला काेई बदल है पाया !!

वह सब उसने श्रम से दिखलाया ।।

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