POETRY written by
Dr CHANDRA KANT TEWARI/ DELHI
हर बार एक,
हर बार नया,
जाने मैं कितनी दूर तक गया. !
भविष्य काे देखा,
भूत काे खाेया,
वतॆमान में ना जाने,
क्या ले कर बाेया !
छाेटा सा सपना आँखाें में संजाेया,
यह ले कर मैं सारी रात ना साेया !
फिर एक दिन नसीब ने कहा,
तू किस्मत से आगे चल ।
भूल जा तू अपने बीते हुए पल,
नसीब काे भला काेई बदल है पाया !!
वह सब उसने श्रम से दिखलाया ।।
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