साँझ की अाखिरी किरण का सफर खाेने काे है,
सूरज फिर से गहरी नींद में साेने काे है !
आैर चाँद पहरेदार की भाँति,
रात्रि का गवाह हाेगा ।
कुछ खग पश्चिम की अाेर, झुंड़ के झुंड़ बनाकर उड़ रहे है .......!
घर की दिशा का अनुमान, शायद पँखाें की उड़ानाें पर निभॆर है !
पूरब दिशा इस बात की गवाह हाेगी,
कि सूरज फिर से नीलगगन में चमकेगा !
फिर राेशनी के समंदर में जग स्नान करेगा ।
चिड़ियाँ फिर बाँसाें के झुरमुट में गीत गायेंगी !
कुछ आधे-अधुरे घाैंसलाें का काम चरम पर हाेगा !
कभी पूणॆ ना हाेने वाली, जीवन की सड़क,
की भाँति दिशा विहीन जीवन अनवरत है !
फिर भी हम लक्ष्य की आेर चलते रहते हैं ।।
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