सोमवार, 12 अगस्त 2019

मेरी स्वरचित कविताएँ

साँझ की अाखिरी किरण का सफर खाेने काे है,

सूरज फिर से गहरी नींद में साेने काे है !

आैर चाँद पहरेदार की भाँति,

रात्रि का गवाह हाेगा । 

कुछ खग पश्चिम की अाेर,  झुंड़ के झुंड़ बनाकर उड़ रहे है .......!

घर की दिशा का अनुमान, शायद पँखाें की उड़ानाें पर निभॆर है !

पूरब दिशा इस बात की गवाह हाेगी,

कि सूरज फिर से नीलगगन में चमकेगा !

फिर राेशनी के समंदर में जग स्नान करेगा ।

चिड़ियाँ फिर बाँसाें के झुरमुट में गीत गायेंगी !

कुछ आधे-अधुरे घाैंसलाें का काम  चरम पर हाेगा !

कभी पूणॆ ना हाेने वाली, जीवन की सड़क,

 की भाँति दिशा विहीन जीवन अनवरत है !

फिर भी हम लक्ष्य  की आेर चलते रहते हैं ।।


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