सोमवार, 12 अगस्त 2019

मेरी स्वरचित कविताएँ POETRY WRITTEN BY CHANDRA KANT TEWARI

POETRY WRITTEN BY CHANDRA KANT TEWARI

 रात से पूछा मैंने,  
कि सुबह कब होगी,
कभी बालकनी में जाकर,
कभी छत के मुहाने पर,
कभी सीढ़ियों पर दुबककर,
पूछा मैंने चमकते सितारों से,
लौटती आवाजों की प्रतिध्वनि से,
बंद कमरों के दराजों से,
टिमटिमाते रोशनी के खम्बों से,
और सड़क पर,
सीधी रेखा खींचते,
आवागमन के संसाधनों से,
मैंने सब से पूछा और पूछता रहा..
परंतु, नींद के टूटते ही,
सूरज बालकनी पर था...!!
 

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