बुधवार, 23 अप्रैल 2025

सत्संग और लोकजीवन - ©डॉ.चंद्रकांत तिवारी

 -: सत्संग और लोकजीवन :-

©डॉ.चंद्रकांत तिवारी 


बिनु सत्संग विवेक न होई

राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।

सतसंगत मुद मंगल मूला

सोई फल सिधि सब साधन फूला।


सूक्ति सागर श्रीरामचरितमानस की यह चौपाई बताती है कि सत्संग के बिना विवेक नहीं प्राप्त हो सकता है, और भगवान राम की कृपा के बिना सत्संग की प्राप्ति भी नहीं हो सकती है। अर्थात श्रीराम जी की कृपा के बिना सत्संग सहज में मिलता भी नहीं है।


सत्संग ठीक वैसा ही है कि जैसे जो मंगल और सुख की जड़ है और सभी साधनों की सफलता का फल है। वह सब सत्संग का फल है। यह चौपाई सत्संग के महत्व को दर्शाती है। जो जीवन का मूलाधार है।


जीवन में सदगुरु का मिलना, सच्चे मित्र, मार्गदर्शन देने वाले पथ-प्रदर्शक, ईमानदार चरित्र माता-पिता सभी बालक रूपी मिट्टी को आकार और साकार बनाते हैं।

सत्संग की पहली गति यही है। क्योंकि 

   सत्संग के बिना ना विवेक मिलता है और ना ही विवेक का फल। सभी का मूलाधार चक्र श्री राम की भक्ति में ही संभव है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें